POEMS

क्या राम आयेंगे!

हर ओर गूंजता जो ये नाद है,अंतर्मन में छिड़ा एक संवाद है,जो इश्वाकु क्षीणता के अपवाद हैं,क्या पत्थर उनकी मर्यादा बता पाएंगे!क्या पुषोत्तम राजा राम फिर आयेंगे! जिसके लिए ना

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स्वयं को समेटना होगा

घनघोर विपदा छाई हुई, बात अस्तित्व पर आई हुई, संकल्प संपूर्ण लेना होगा, स्वयं को समेटना होगा। कुछ तो तुम शिथिल हुए, पथ से कुछ विचलित हुए, फिर सही पथ

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प्रकर्ती का प्रकार

ये जो हुई विकट उदगार है,ये जो मचा हाहाकार हैये जो तेरा बिखरता संसार है,ये भी मेरा एक प्रकार है। ना तेरी सगी ना संबंधी हूं,ना मैं बहरी और ना

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