स्वयं को समेटना होगा

घनघोर विपदा छाई हुई, बात अस्तित्व पर आई हुई, संकल्प संपूर्ण लेना होगा, स्वयं को समेटना होगा। कुछ तो तुम शिथिल हुए, पथ से कुछ विचलित हुए, फिर सही पथ लेना होगा, स्वयं को समेटना होगा। अब जो हुआ वो था हुआ, जो था वो स्वाह: हुआ, अब नया दौर गढ़ना होगा, स्वयं को समेटना … Read more

प्रकर्ती का प्रकार

ये जो हुई विकट उदगार है,ये जो मचा हाहाकार हैये जो तेरा बिखरता संसार है,ये भी मेरा एक प्रकार है। ना तेरी सगी ना संबंधी हूं,ना मैं बहरी और ना अंधी हूं,ना ये दंड और ना अत्याचार है,ये भी मेरा एक प्रकार है। जैसे तूने मुझको भोगा,वैसा तुझ संग भी तो होगा,ये तेरे ही कर्मों … Read more