क्या राम आयेंगे!

हर ओर गूंजता जो ये नाद है,अंतर्मन में छिड़ा एक संवाद है,जो इश्वाकु क्षीणता के अपवाद हैं,क्या पत्थर उनकी मर्यादा बता पाएंगे!क्या पुषोत्तम राजा राम फिर आयेंगे! जिसके लिए ना कोई छोटा था ना बड़ा,जिसके लिए धर्म था रहना न्याय पे अड़ा,जो सब त्याग के रहा हर वचन को खड़ा,क्या उत्सव उन मूल्यों को सिखा … Read more

स्वयं को समेटना होगा

घनघोर विपदा छाई हुई, बात अस्तित्व पर आई हुई, संकल्प संपूर्ण लेना होगा, स्वयं को समेटना होगा। कुछ तो तुम शिथिल हुए, पथ से कुछ विचलित हुए, फिर सही पथ लेना होगा, स्वयं को समेटना होगा। अब जो हुआ वो था हुआ, जो था वो स्वाह: हुआ, अब नया दौर गढ़ना होगा, स्वयं को समेटना … Read more

प्रकर्ती का प्रकार

ये जो हुई विकट उदगार है,ये जो मचा हाहाकार हैये जो तेरा बिखरता संसार है,ये भी मेरा एक प्रकार है। ना तेरी सगी ना संबंधी हूं,ना मैं बहरी और ना अंधी हूं,ना ये दंड और ना अत्याचार है,ये भी मेरा एक प्रकार है। जैसे तूने मुझको भोगा,वैसा तुझ संग भी तो होगा,ये तेरे ही कर्मों … Read more