स्वयं को समेटना होगा

घनघोर विपदा छाई हुई,
बात अस्तित्व पर आई हुई,
संकल्प संपूर्ण लेना होगा,
स्वयं को समेटना होगा।

कुछ तो तुम शिथिल हुए,
पथ से कुछ विचलित हुए,
फिर सही पथ लेना होगा,
स्वयं को समेटना होगा।

अब जो हुआ वो था हुआ,
जो था वो स्वाह: हुआ,
अब नया दौर गढ़ना होगा,
स्वयं को समेटना होगा।

बातों से बात नहीं बनती,
बिना कर्म राह नहीं ढलती,
कहने को अब करना होगा,
स्वयं को समेटना होगा।

बिना शुरुआत अंत नहीं होता,
कोई अंत भी तुरंत नहीं होता,
पूर्ण वेग से चलना होगा,
स्वयं को समेटना होगा।। . 

  • शार (०५/०४/२०२३)

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